June 9, 2025
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Golden temple Punjab state in India

Amritsar golden temple Punjab state in India गोल्डन टेम्पल पंजाब राज्य में स्तिथ है ।

इस मंदिर को हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा या गोल्डन टेम्पल भी कहा जाता है |

यह एक सिख धार्मिक मंदिर है | अमृतसर ऐसा शहर है जो सिख धर्म में सबसे पवित्र शहर माना जाता है ।

जब अमृतसर बना को बसाया गया तब इसका नाम रामदासपुर था |

यह शहर गुरु रामदास जी ने बसाया था

यहाँ करीब लाखो कि संख्या में लोग आते है । यह भारत में ताजमहल के बाद दूसरा सबसे ज्यादा पसंदीदा जगह है। गुरुद्वारा में चारों ओर दरवाजा है इन चारो दरवाजो के अलग अलग नाम है । पहला दरवाजा अंदर कि और ले जाता है सामने गोल्डन टेम्पल सरोवर के बीच में स्तिथ है यहाँ सिख म्यूजियम है गुरूद्वारे में हर जगह का अलग नाम है । हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा में हज़ारों लोग हर दिन खाना खाते है ।

यह सिख धार्मिक मंदिर है लेकिन गुरूद्वारे में कोई भी या किसी भी धर्म के लोग आ सकते है

इस गुरुद्वारा में हर साल और हर दिन बहुत भीड़ होती है

who founded Amritsar

गुरु अमरदास सिखों के तीसरे गुरु थे इनका बसेरा गोइंदवाल में था 15 सितम्बर 1534 को रामदास का जन्म लाहौर में हुआ था तब इन्हे जैठा लाल कहकर बुलाते थे । जब रामदास जी 7 वर्ष के थे तब इनके पिताजी कि मृत्यु हो गयी तब इनका पालन पोषण दादीजी करती है । इनके परिवार को नयी शुरुआत के लिए वह लोग गोइंदवाल में आ गए । रामदास गुरु अमरदास जी से मिलते है वह इनसे बहुत प्रभावित होते है रामदास इन्हे अपना गुरु मान लेते है । रामदास अमरदास कि सेवा करते है । गुरु अमरदास भी रामदास से इतने प्रभावित होते है कि वह इन्हे सिख धर्म का चौथा गुरु बना देते है । गुरु रामदास और बीबी बानी का विवाह कराया जाता है । जैसा कि अमरदास जी ने रामदास को गुरु बना दिया इससे गुरु अमरदास के पुत्र से युद्ध भी होते है ।

अमरदास ने रामदास को एक नया शहर बसाने के लिए कहा वह चाहते थे कि सिख धर्म का एक केंद्र होना चाहिए तब उन्होंने इस शहर को बसाने का निर्णय लिया अमृतसर को बसाने वाले रामदास थे लेकिन इसकी परिकल्पना अमरदास ने की

Amritsar golden temple Punjab India

 

 

 

 

दरअसल सिखों के चौथे गुरु रामदास जी और पत्नी “बीबी भानी” को 700 अकबरी रुपीये मुग़ल बादशाह अकबर से तोहफ़े में मिली थी इसी रुपीये से गुरु रामदास जी ने अमृतसर नगर को बसाया और  साथ ही साथ उन्होंने एक सरोवर भी बनवाया। शुरुआत में इस जगह का नाम रामदासपुर था । ये भी ध्यान देने की बात है कि गुरु अमरदास सिखों के तीसरे गुरु थे इनकी बेटी “बीबी बानी” थी इनकी बेटी के साथ गुरु रामदास ( तीसरे गुरु ) का विवाह हुआ था ।  इस तरह से रामदास जी ने रामदासपुर को बसाया था इस सरोवर का नाम अमृता सरस है।

Golden temple को किसने बनाया था

गुरु अर्जन जी सिखों के पांचवे गुरु थे | इनके समय में गोल्डन टेम्पल का प्रसार किया गया । गुरु अर्जन  ने अमृतसर नगर में सरोवर के चारों ओर दीवारे और वर्तमान गुरूद्वारे के पुरे भाग को बनवाया और सरोवर के बीच में गुरूद्वारे को बनवाया जिसे आज हम “हरमिंदर साहिब” गुरुद्वारा कहते है | वर्तमान में गोल्डन टेम्पल के नाम से मशहूर है । अर्जन देव जी ने आदि ग्रंथ की रचना भी की । यह ग्रन्थ सिख धर्म में सबसे पवित्र ग्रन्थ माना जाता है | इस ग्रन्थ में सिख़ धर्म से जुडी कई बाते लिखी हुयी है  इस ग्रन्थ को गुरु अर्जन देव ने गुरुद्वारा में रखवाया | गोल्डन टेम्पल अकाल तख़्त का घर है । गोल्डन टेम्पल 1604 में बन कर तैयार हो गया ।आज इस जगह को अमृतसर का नाम गुरुद्वारा के सरोवर के नाम से मिला है 

गुरु अर्जन जी ने आदि ग्रन्थ कि रचना और हरमिंदर सिंह गुरुद्वारा बनवाया । इनके समय में सिख धर्म का प्रचार प्रसार बहुत तेज़ी से हई । इनके मानने वाले कई हिन्दू और मुस्लिम भी थे ।

गुरुद्वारा को बनाने के लिए लोगों से दान लिया गया और उनकी सहायता भी ली

1588 या 1589  में, गुरु अर्जन जी चाहते थे कि इसकी आधारशिला मुस्लिम सूफी मीर मुहम्मद मिया करे |

19 वीं सदी में, सिख राजा महाराजा रणजीत सिंह ने  इस पर सोने की परत चढ़वायी

इसलिए आज इसे इंग्लिश में गोल्डन टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है।

गोल्डन टेम्पल अपनी इसी खासियत के लिए मशहूर है

Amritsar golden temple Punjab India

सिख धर्म में कितने गुरु है ?

सिख धर्म में पुरे दस गुरु माने जाते है सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु नानक जी, दूसरे गुरु अंगद जिनका पहले का नाम लहन था , तीसरे गुरु अमर दस जिनकी परिकल्पना नया शहर बसाने कि थी , चौथे गुरु रामदास ( इन्होने रामदासपुर बसाया बाद में इसका नाम अमृतसर हो गया )  , पाँचवे गुरु अर्जन देव जी इन्होने हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा बनवाया बाद में रणजीत सिंह ने सोने कि लेयर लगवाई, छठे गुरु हरगोविंद, सातवें गुरु हरराय , आठवें  गुरु हरकिशन जी, नौवें गुरु तेगबहादुर और अंतिम गुरु गोविन्द जी है लेकिन ग्यारवें गुरु क्यों नहीं है ?

अंतिम गुरु गोविन्द जी ने ग्यारवे गुरु “आदि ग्रंथ” को माना जो गोल्डन टेम्पल में रखा हुआ है

Golden Temple and Problems

सिख धर्म के प्रसिद्धि और लोगों में लोकप्रियता में धर्मनिरपेक्ष मुग़ल शाषन ने अहम् योगदान दिया है । लेकिन जहांगीर को सिख धर्म के तेज़ी से प्रसार होने का डर था इसलिए अर्जन देव को गिरफ्तार और इस्लाम धर्म को मानने के लिए कहा गया । गुरु अर्जन देव ने अपना धर्म नहीं बदला । ऐसा करने से गुरु अर्जन जी को बहुत प्रताड़ित किया गया । उन्हें जेल में बंद कर दिया । इन्हे जेल में कई तरह के दंड दिए ।  फिर भी वह अड़े रहे 

 

मंदिर को कई बार नुकशान हुआ इनमे से अफगानी हमलावर ने मंदिर को नुक्सान किया । बाद में सिखों ने इसे बना लिया

 

 

 

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