June 9, 2025
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trillion worth richest temple in the world

one trillion worth richest temple in Kerala तिरुवनंतपुरम, केरल की राजधानी है इस शहर में दुनिया का सबसे धनी मंदिर है इसलिए इसे धार्मिक भी माना जाता है  ।मंदिर को जानने से पहले कुछ ख़ास बाते इस शहर को थोड़ा जान लेते है

तिरुवनंतपुरम, ये शहर केरल का महतवपूर्ण शहर है । इसकी टूरिज्म इंडस्ट्री बड़ी है जो कि केरल की इकॉनमी को फायदा होता है  इस शहर में व्यापार भी अधिक होता है । अगर यूनिवर्सिटी की बात करे तो बड़े बड़े यूनिवर्सिटी केरल में है ये ये शहर बहुत बढ़िया जगह पर स्तिथ है तिरुवनंतपुरम में केरल राज्य का इंटरनेशनल एयरपोर्ट है तिरुवनंतपुरम सबसे ज्यादा पद्मनाभस्वामी मंदिर से मशहूर है हालांकि तिरुवनंतपुरम में  घूमने के लिए बेहतर जगह और समुद्री तट है लेकिन हम इस पोस्ट में सिर्फ तिरुवनंतपुरम में स्तिथ श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की बात करेंगे इस मंदिर में रखे ख़ज़ाने की कीमत लाखो करोड़ रुपए में है trillion worth richest temple in the world इस शहर और मंदिर के नाम के पीछे भी इस मंदिर से जुड़ा हुआ है ।

Shree Padmanabhaswamy Temple

पद्मनाभस्वामी टेम्पल हिन्दू धर्म में सबसे ख़ास माना जाता है इसकी विशेषता अधिक है । इसलिए श्रदलु यहाँ बहुत दूर से बड़ी संख्या में आते है । ये सबसे बड़े हिन्दू टेम्पल में से एक है | यह वैष्णव मंदिर है । वैष्णव मंदिर वह होते है जहां भगवन विष्णु की पूजा की जाती है ये मंडी केरल का सबसे बड़ा मंदिर है मंदिर के दह्खाने में रखा ख़ज़ाने से, ये दुनिया का अमीर मंदिर माना जाता है । इसमें विष्णु भगवान की पूजा होती है । मंदिर में विष्णु जी पद्मनाभ अवस्था में विश्राम करते है इसलिए इस मंदिर का नाम श्री पद्मनाभस्वामी रखा गया है दूसरी तरफ शहर का नाम भगवन विष्णु के नाग अनंत नाम से मिलता जुलता है ।

दरअसल लोगों की मान्यताओं के अनुसार यहाँ विष्णु की मूर्ति मिली थी इस जगह पर मंदिर का निर्माण करवाया गया । मंदिर में कृष्ण जी की विशाल मूर्ति राखी हुयी है । इसे देखने के लिए श्रदालु की बड़ी संख्या आती है । इसलिए यहाँ पर यह मंदिर बनवाया गया इस मंदिर को सही तरीके से बनवाया  गया इस मंदिर को 1733 में मार्तण्ड वर्मा ने बनवाया था यह त्रावणकोरे के राजा थे । इस मंदिर को खासा महत्व दिया गया था । त्रावणकोर के राजा ने इस मंदिर में धन दौलत रखते थे । इसमें सात रहसमयी दरवाजे थे और सांतों दरवाजे बंद थे । मंदिर में त्रावणकोर के राजा ने मसलों को बेचकर धन जमा किया था। इसमें त्रावणकोर के राजा द्वारा जनता से टैक्स का धन भी शामिल है । इसके बारे में अगले पैराग्राफ में बताया गया है ।

पद्मनाभस्वामी मंदिर के दरवाजे का रहस्य

मंदिर में रखा सोने और धन की कीमत नहीं आंक सकते थे क्यूंकि मंदिर में कितनी दौलत राखी है ? इस बारे में किसी को नहीं पता था न ही किसी ने कीमत लगायी थी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दरवाजे खोले जाए और पता लगाए जाए खोलने के बाद पता चला इसमें एक लाख करोड़ तक के खजाने रखे हुए थे मंदिर के छह दरवाजे खोले गए इसका सांतवा दरवाजा नहीं खोला गया इससे कुछ रहसयमयी बाते जुडी हुयी है इसमें लोगों कि आस्था थी। जिसके कारण सांतवा दरवाजा नहीं खोला गया

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सांतवा दरवाजा के बारे में लोग बाटते है कि ये शापित है दरवाजे पर बना सांप बना हुआ है जो इस दरवाजे कि रक्षा करता  इसके पीछे कई बाते बताई जाती है कि अगर सातवा दरवाजा खुलेगा तो तबाही आएगी लोगों कि मान्यता है कि इस दरवाजा को खोलने वाला व्यक्ति सिद्ध और योगी दोनों होना परम आवश्यक है उसे गरुड़ मंत्र का सही उच्चारण करना होगा । उच्चारण ठीक से नहीं हो पाटा है तो उस व्यक्ति कि मौत हो सकती है । सांतवा दरवाजा को पुराणी मान्यता से जुडी है इसलिए इसे नहीं खोला गया ।

यह बात किसी को नहीं पता है कि सांतवा दरवाजे खोलने के बाद क्या मिलेगा ? लेकिन ऐसा लोग समझते है कि बाकी दरवाजे से जायदा खजाना सांतवा दरवाजे में होगा ।

मंदिर पर टीपू सुल्तान और विदेशी आक्रमणकारी ने हमले किये लेकिन यह मंदिर सुरक्षित जगह पर होने से बच गया टीपू सुल्तान ने इस मंदिर पर हमले करने से पहले ही कोच्चि में बुरी तरह हार गया । मंदिर प्राचीन काल से ही शाषन और धर्म का केंद्र हुआ करते थे क्यूंकि धर्म से सब इन्शान जुड़े हुए होते है और आज भी यही प्रथा चली आयी है।

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मंदिर के ख़ज़ाने के मालिक कौन ?

मंदिर के दरवाजे खुलने से पहले मंदिर में से सोने के बर्तन गायब हो रहे थे लेकिन फिर भी मंदिर के दरवाजों के पीछे के खजाने अधिक थे  फिलहाल इसका मालिक अभी है ? लेकिन इस खजाने के बारे में लोगों और विद्वानों का अलग सोच है कोई कहता है कि इस खजाने का मालिक त्रावणकोर के पूर्व राजा के वंसज होने चाहिए लेकिन दूसरे लोग बोलते है कि इसका मालिक जनता है ।

पद्मनाभ मंदिर दर्शन नियम

मंदिर का देखरेख त्रावणकोर के शाही परिवार करती थी जिनके पूर्वज ने इस मंदिर को बनवाया था

वर्तमान में इसका रख रखाव एक ट्रस्टी करता है इसमें त्रावणकोर के शाही परिवार का सदस्य भी शामिल होता है

पदनाम्भ मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुष और महिलाओ के लिए विशेष तरह के कपडे पहनने होते है जो अनिवार्य होते है

पुरुष आमतौर से धोती और शर्ट होते है दूसरी और महिलाओ के लिए साड़ी पहनती है

इस मंदिर में प्रवेश के लिए सिर्फ हिन्दू धर्म को मानने वाला होना चाहिए मंदिर में विदेशियों को प्रवेश के अनुमति नहीं है लेकिन अगर वह हिन्दू धर्म को मनाता है तो वह प्रवेश ले सकता है

 

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